Love Status For Facebook
बिन कहें मेैं समझ जाउ , वो अहसांस हो तुम,,,,,,
उस शाम तुमने मुड़कर मुझे देखा जब, यूँ लगा जैसे हर दुआ कुबूल हो गयी ,,,,,,
मुझे भी ज़िन्दगी में तुम ज़रूरी मत समझ लेना, सुना है तुम ज़रूरी काम अक्सर भूल जाते हो…,,,,,,
तू करे ना करे….. मेरा इश़्क काफ़ी है… हम दोनों के लिये,,,,,,
मुद्दत के बाद जिन्दगी फिर से मुस्कुराने लगी है , किसी की धडकन हमें अपना बनाने लगी है.,,,,,,
नजर चाहती है दीदार करना दिल चाहता है तुम्हें प्यार करना ,,,,,,
रिश्ता दिल में होना चाहिए शब्दों में नहीं और नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं,,,,,,
अगर मुझे समझना चाहते हो तो, बस दिल से अपना समझो,,,,,,
कभी-कभी किसी से ऐसा रिश्ता भी बन जाता हैं…कि हर चीज से पहले उसी का ख्याल आता है,,,,,,
ना चाँद चाहिए ना फलक चाहिए , मुझे बस तेरी एक झलक चाहिए,,,,,,
इस दिल में तुम्हारे सिवा किसी को इजाजत नहीं,,,,,,
खुदा करे की किसी पर कोई फ़िदा न हो , अगर हो तो मौत से पहले जुदा न हो,,,,,,
लापता होकर निकले थे मोहबत में तेरी , हमें कया पता था मशहूर हो जाएंगे,,,,,,
हम तो मोहबत के नाम से भी अनजान थे, एक शख्स की चाहत ने पागल बना दिया,,,,,,
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबुत रखना जरा से भी चुके तो मोहबत हो जायेगी,,,,,,
वो ज़िंदगी ही क्या जिसमे मोहब्बत नही, वो मोहबत ही क्या जिसमे यादें नही, वो यादें क्या जिसमे तुम नही, और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही!,,,,,,
मेरी जिंदगी मे खुशियाँ तेरे बहाने से है , आधी तुझे सताने से है आधी तुझे मनाने से है,,,,,,
दिलो मे रहता हु, धड़कने थमा देता हु – मे इश्क हु – वजूद की धजिया उड़ा देता हु,,,,,,
ग़ालिब ने खूब कहा है – ऐ चाँद तू किस मज़हब का है , ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा,,,,,,
“एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना, बस फिर क्या था तबसे मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा,,,,,,
मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो, मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना,,,,,,
ऐसा नही है कि मुझमे कोई ‘ऐब’ नही है.. पर सच कहता हूँ मुझमें ‘फरेब’ नहीं है,,,,,,
“अगर प्यार है तो शक़ कैसा …अगर नहीं है तो हक़ कैसा,,,,,,
फिर ग़लतफैमियो में डाल दिया.. जाते हुए मुस्कुराना ज़रूरी था,,,,,,
कहेते है इश्क ऐक गुनाह है जिसकी शरुआत दो बेगुनाहो से होती है.,,,,,,
आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है,,,,,,
ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया,,,,,,
मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं,,,,,,
क्या खबर थी की मुहब्बत हो जायेगी। हमें तो सिर्फ उनका मुस्कुराना अच्छा लगा था,,,,,,
बस जाते हैं दिल में इजाज़त लिए बगैर, वो जिन्हें हम ज़िन्दगी भर पा नहीं सकते,,,,,,
हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल की, बताओ कभी कुछ मिला है तुम्हारे सिवा ,,,,,
मोहब्बत ज़िंदगी बदल देती है , मिल जाए तो भी ना मिले तो भी,,,,,,
सच्चा प्यार ईश्वर कि तरह होता है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं लेकिन महसूस कुछ ही लोगों ने किया होता है,,,,,,
मेरा दिल सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है,,,,,,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था ,,,,,,
कुछ इस तरह से….नाराज हैं वो हमसे, जैसे उन्हें, किसी और ने…मना लिया हो.,,,,,,
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता,,,,,,
वो ना ही मिलते तो अच्छा था… बेकार में मोहब्बत से नफ़रत हो गई,,,,,,
तुम ही वजह मेरे खालीपन की.. और.. तुम्ही गूंजते हो मुझमें हरदम,,,,,,
कोई भी दीवारें मुझे तुमसे मिलने से ना रोक पाती,अगर तू मेरे साथ होती तो,,,,,,
दिल मेरा कूछ टूटा हुआ सा है,उससे कूछ रुठा हुआ सा है,,,,,,
मेरे दिल से उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है,जब वो मुस्कुरा के पूछती है, नाराज हो क्या,,,,,,
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती,,,,,,
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर,तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये.,,,,,,
सुनो… तुम ही रख लो अपना बना कर..औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर,,,,,,
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं.,,,,,,
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं,,,,,,
धड़कनों को भी रास्ता दे दीजिये हुजूर,आप तो पूरे दिल पर कब्जा किये बैठे है.,,,,,,
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते,,,,,,
मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे,अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती,,,,,,
अगर हम सुधर गए तो उनका क्या होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है,,,,,,
गर्मी तो बोहत पढ़ रही है। फिर भी उनका दिल पिघलने का नाम ही नहीं ले रहा ,,,,,,
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,मुझे भी अपनी जिद्द बना लो ,,,,,,
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं; चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए,,,,,,
हो जा मेरी कि इतनी मोहब्बत दूँगा तुझे,लोग हसरत करेंगे तेरे जैसा नसीब पाने के लिए.,,,,,,
मेरे इस दिल को तुम ही रख लो,बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी,,,,,,
यूँ तो आदत नहीं मुझे मुड़ के देखने की..तुम्हें देखा तो लगा..एक बार और देख लूँ,,,,,,
कहतें हैं कि मोहबत एक बार होती है..पर मैं जब जब उसे देखता हूँ..मुझे हर बार होती है,,,,,,
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता न वक़्त के साथ न हलात के साथ,,,,,,
क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे… और तुम गले लगा के कहो, “और कुछ,,,,,,,